पश्चिम में जब हिप्पी संस्कृति का बोलबाला था, महर्षि महेश योगी ने ‘ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन’ (अनुभवातीत ध्यान) के जरिए दुनिया भर में अपने लाखों अनुयायी बनाए। योग और ध्यान को दुनिया के कई देशों में पहुंचाने वाले आध्यात्मिक गुरु महर्षि महेश योगी का 12 जनवरी को जन्मदिन हैं। दिव्य विभूति महर्षि योगी ने वैदिक ज्ञान से संपूर्ण विश्व को आलौकित किया और उनके हृदयग्राही सरस प्रवचनों ने हिन्दुस्तान के जबलपुर से लेकर हॉलैण्ड तक कई शहरों के श्रोताओं को सम्मोहित किेया।

महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास ही स्थित पांडुका गांव में हुआ। उनके पिता का नाम रामप्रसाद श्रीवास्तव था। महर्षि योगी का वास्तवित नाम महेश प्रसाद श्रीवास्तव था। उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली थी।

40 और 50 के दशक में वे हिमालय में अपने गुरु से ध्यान और योग की शिक्षा लेते रहे. महर्षि महेश योगी ने ध्यान और योग से बेहतर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान का वादा किया और दुनिया के कई मशहूर लोग उनसे जुड़ गए. ब्रिटेन के रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य उत्तरी वेल्स में उनके साथ सप्ताहांत बिताया करते थे। एक बार जब महेश योगी ऋषिकेष में आश्रम में थे तो बीटल्स के सदस्य हेलिकॉप्टर से वहां पहुंचे थे।

जब वे अपनी प्रसिद्धि के शिखर पर थे तो कुछ लोगों ने उनसे पूछा कि उन्हें संत क्यों कहा जाता है, और उनका जवाब था, “मैं लोगों को ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन सिखाता हूँ जो लोगों को जीवन के भीतर झांकने का अवसर देता है. इससे लोग शांति और ख़ुशी के हर क्षण का आनंद लेने लगते हैं. चूंकि पहले सभी संतों का यही संदेश रहा है इसलिए लोग मुझे भी संत कहते हैं.”

महर्षि महेश योगी ने ‘राम’ नाम की एक मुद्रा भी चलाई थी जिसे नीदरलैंड्स ने साल 2003 में क़ानूनी मान्यता दी थी.’राम’ नाम की इस मुद्रा में चमकदार रंगों वाले एक, पाँच और दस के नोट थे.

इस मुद्रा को महर्षि की संस्था ‘ग्लोबल कंट्री ऑफ़ वर्ल्ड पीस’ ने साल 2002 के अक्टूबर में जारी किया गया था.नीदरलैंड्स के कुछ गाँवों और शहरों की सौ से अधिक दुकानों में ये नोट चलने लगे थे. इन दुकानों में कुछ तो बड़े डिपार्टमेंट स्टोर श्रृँखला का हिस्सा थे.अमरीकी राज्य आइवा के महर्षि वैदिक सिटी में भी ‘राम’ मुद्रा का प्रचलन था. वैसे 35 अमरीकी राज्यों में ‘राम’ पर आधारित बॉन्डस शुरू किए गए थे.

साल 2008 में जारी हुई उनकी संस्था से जुड़ी एक रिपोर्ट के मुताबिक महेश योगी ने 150 देशों में पाँच सौ स्कूल, दुनिया में चार महर्षि विश्वविद्यालय और चार देशों में वैदिक शिक्षण संस्थान खोल रखे थे.महर्षि महेश योगी का संगठन वैसे पर ‘लाभ न अर्जित करने वाला’ संगठन था लेकिन साल 2008 की इसी रिपोर्ट में उनके संगठन के पास दो अरब पाउंड यानी तक़रीबन 160 अरब रुपयों की संपत्ति होने की बात कही गई थी.

साल 2008 की 11 जनवरी को महर्षि योगी ने ये कहते हुए रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी कि उनका काम पूरा हो गया है और उनका गुरु के प्रति जो कर्तव्य था वो पूरा हो गया है.

महेश प्रसाद ने महर्षि महेश योगी बनकर संपूर्ण दुनिया को शांति और सदाचार की शिक्षा दी और विश्व भर में भारत का नाम रोशन किया। इस महापुरुष का व्यक्तित्व अजर-अमर है। योग और ध्यान के आध्यात्मिक गुरु महर्षि महेश योगी का नीदरलैंड्स स्थित अपने घर में पांच फरवरी 2008 को 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।


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